उत्तर प्रदेश के नैमिषारण्य सीतापुर में मंदाकिनी नदी का पुनर्जीवन: लोक भारती के बृजेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में महाअभियान

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Mandakini River Rejuvenation in nemisharanya Sitapur UP Lok Bharti’s Inspirational Campaig

लोकभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह के नेतृत्व में नदियों के पुनर्जनन का एक अनुकरणीय प्रयास किया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत मंदाकिनी नदी को पुनर्जनन के साथ जीवन प्रदान किया गया है। यह आलेख इस अभियान की प्रेरणादायी यात्रा को विस्तार से प्रस्तुत करता है, जिसमें प्रत्येक चरण और उपलब्धियों को रेखांकित किया गया है।

नैमिषारण्य: तीर्थों का पवित्र केंद्र

नैमिषारण्य, सीतापुर में चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर भारत के समस्त तीर्थ स्थापित हैं, जिन्हें महर्षि दधीचि के अस्थिदान के समय आमंत्रित किया गया था। यह पवित्र भूमि आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व की धरोहर है। लोकभारती कार्यकर्ताओं ने इसकी मूल पहचान को बनाए रखने के लिए दो प्रमुख कार्यों की आवश्यकता पर बल दिया:

  • भूगर्भ जल स्तर का संरक्षण: चक्र तीर्थ जैसे जल स्रोतों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में भूगर्भ जल स्तर को बनाए रखना।
  • सघन वृक्षारोपण: नैमिषारण्य के अरण्य को हरा-भरा रखने के लिए व्यापक वृक्षारोपण अभियान

यह संकल्प इस क्षेत्र की प्राकृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि को पुनर्जनन देने की दिशा में पहला कदम था।

संकल्प का प्रथम कदम: गोमती अध्ययन यात्रा

15 मार्च 2010 को गोमती अध्ययन यात्रा के दौरान लोकभारती कार्यकर्ताओं ने नैमिषारण्य के संरक्षण के लिए विचार-मंथन किया। इस यात्रा के तीसरे दिन, 1 जून 2011 को वरिष्ठ पर्यावरणविद और वन विभाग के अधिकारी राधेकृष्ण दुबे ने लोकभारती और गायत्री परिवार के साथ मिलकर चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर 28 दिन की पदयात्रा शुरू की। इस यात्रा का उद्देश्य अट्ठासी हजार ऋषियों की स्मृति में अट्ठासी हजार देव वृक्ष लगाने का संकल्प था। इस पहल ने पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक जागरूकता को एक नया आयाम दिया।

मंदाकिनी नदी की सफाई से पूर्व

चौरासी कोसी पदयात्रा की उपलब्धियाँ

इस पदयात्रा ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं, जो निम्नलिखित हैं:

  1. 108 गाँवों का अध्ययन और सहयोग: परिक्रमा पथ के 108 गाँवों और आश्रमों का दर्शन और अध्ययन कर सहयोग स्थापित किया गया।
  2. भूगर्भ जल स्रोतों की जानकारी: चक्र तीर्थ जैसे जल स्रोतों और छोटी-छोटी धाराओं का अध्ययन किया गया।
  3. 15 हजार देव वृक्षों का रोपण: सीतापुर और हरदोई जिला प्रशासन के सहयोग से 15 हजार देव वृक्ष लगाए गए, जो आज सघन छाया और फल प्रदान कर रहे हैं।
  4. चित्रकूट में वृक्षारोपण: वन विभाग की भूमि पर खाइयों की सुरक्षा के साथ 5 हजार पेड़ लगाए गए।
  5. देववृक्ष भंडारा: गुरुपूर्णिमा के अवसर पर 40 हजार देव वृक्षों का भंडारा आयोजित किया गया, जिसमें 108 गाँवों के लोग, पंडा पुजारी और संत शामिल हुए।
  6. मंदाकिनी पुनर्जनन का संकल्प: पदयात्रा के दौरान सूख चुकी मंदाकिनी नदी के दर्शन हुए और इसके पुनर्जनन का संकल्प लिया गया। कमलेश सिंह के नेतृत्व में लोकभारती की टीम ने इस संकल्प को साकार करने के लिए कार्य शुरू किया।

यह यात्रा न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर थी, बल्कि सामुदायिक सहभागिता का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी थी।

मंदाकिनी नदी की पूजा

कठिना और मंदाकिनी का पुनर्जनन

नैमिषारण्य क्षेत्र में गोमती नदी में मिलने वाली कठिना नदी भूगर्भ जल स्तर के गिरने के कारण सूखने की कगार पर थी। हालाँकि मंदाकिनी का पुनर्जनन प्राथमिक लक्ष्य था, जो पिछले 15 वर्षों से पूरी तरह निर्जीव थी, लोकभारती ने पहले कठिना नदी के पुनर्जनन पर कार्य शुरू किया।

कठिना नदी का पुनर्जनन

  • कठिना नदी 70 किमी की यात्रा करती है और 27 ग्राम सभाओं से होकर गुजरती है।
  • पहले इस नदी में जल इतना कम था कि लोग मोटरसाइकिल से इसे पार कर लेते थे।
  • पुनर्जनन के बाद अब इसे नाव से पार करना पड़ता है।

मंदाकिनी का पुनर्जनन

  • मंदाकिनी नदी केवल 21 किमी लंबी है और इसके दोनों ओर 14 ग्राम सभाओं में 42 बड़े तालाब हैं।
  • इन तालाबों के माध्यम से वर्षा जल संग्रहण, भंडारण और सघन वृक्षारोपण से भूगर्भ जल स्तर को पुनर्जनन किया गया।
  • 2023 से 2025 तक 500 जेसीबी मशीनों, सैकड़ों कार्यकर्ताओं, ग्राम प्रधानों, शासन-प्रशासन और एमएलसी पवन सिंह चौहान के सहयोग से यह असंभव कार्य संभव हुआ।
  • बरेठी के प्रधान और लोकभारती के समर्पित कार्यकर्ता देशराज सिंह यादव ने इसके प्रत्यक्ष प्रमाण उपलब्ध कराए।

तकनीकी नवाचार

  • नदी के 60 मीटर के ढाल के कारण पानी तेजी से गोमती में बह जाता था। इसे रोकने के लिए दोहा पद्धति से ट्रेंच बनाए गए, जिससे पानी एक निश्चित स्तर तक ठहरता है और अतिरिक्त पानी आगे बहता है।
  • तालाबों को एक निश्चित ऊँचाई तक भरने के बाद अतिरिक्त पानी नदी में प्रवाहित होता है।

इस प्रकार, जल प्रवाह का चक्र पूर्ण कर मंदाकिनी को नवजीवन प्रदान किया गया।

संपादकीय: बृजेंद्र पाल सिंह का प्रेरणादायी नेतृत्व

लोकभारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बृजेंद्र पाल सिंह का यह अभियान न केवल पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि सामुदायिक सहभागिता और नेतृत्व की शक्ति का जीवंत प्रमाण भी है। उनके दूरदर्शी नेतृत्व, अटूट संकल्प और सामाजिक जागरूकता ने मंदाकिनी और कठिना जैसी नदियों को पुनर्जनन प्रदान किया, जो न केवल पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।

श्री सिंह ने न केवल एक असंभव कार्य को संभव बनाया, बल्कि सैकड़ों कार्यकर्ताओं, ग्राम प्रधानों और प्रशासन को एक मंच पर लाकर सामूहिक प्रयासों की शक्ति को प्रदर्शित किया। उनकी प्रेरणा से चौरासी कोसी परिक्रमा पथ पर हजारों देव वृक्षों का रोपण और भूगर्भ जल संरक्षण के प्रयास आज एक हरे-भरे और जीवंत नैमिषारण्य का सपना साकार कर रहे हैं।

यह अभियान हमें यह सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सामुदायिक सहयोग से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। बृजेंद्र पाल सिंह का यह योगदान भावी पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा है और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक स्वर्णिम अध्याय है। हम उनके इस महान कार्य को सलाम करते हैं और उनके नेतृत्व में और अधिक नदियों और क्षेत्रों के पुनर्जनन की आशा करते हैं।

आइए, हम सभी इस कल्याणकारी अभियान का हिस्सा बनें और पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने योगदान को सुनिश्चित करें।

नीरज सिंह
सह सचिव, लोकभारती एवं नदी संरक्षण अभियान समन्वयक
9412406516

 

Dr. Bhanu Pratap Singh