डॉ भानु प्रताप सिंह
लाइव स्टोरी टाइम
आपने बहुत से मेला देखे होंगे। इस बार हम आपको ले चलते हैं किताबों के मेले में जहां किताबें मिल रही है धेले में। किताबें बोलती हैं, सुनती हैं, सुनाती हैं। किताबें वह हर बात बताती हैं जो हमारे लिए उपयोगी है या अनुपयोगी है। किताबों में ही व्यंग्य है और किताबों में ही कविता की तरंग है। किताबों में ही गीता है, रामायण है, महाभारत है, बाइबिल है, कुरान है, किताबों में ही वेद है, पुराण है। किताबों में प्रेम है, शांति है और आजादी की क्रांति है। किताबों में ही आत्मा है और परमात्मा है।
किताबों में हमारा बचपन है और हमारे दिल की धड़कन है। किताबों में हमारी जवानी है, जिसके बारे में कहा गया है वह जवानी, जवानी नहीं जिसकी कोई कहानी ना हो। किताबों में हम बूढ़े हैं, जो ज्ञान के खजाने से गूढ़े हैं। किताबों में ही चाणक्य है, विदुर है जो ज्ञान के धुर है।
किताबें हमें तर्क वितर्क सिखाती हैं और कल्पनाशील बनाती हैं। किताबें हमें अच्छा और बुरा में अंतर बताती हैं, जो हमारे जीवन में काम आती हैं। किताबें हमें जीवन की राह दिखाती हैं, किताबें समय का सदुपयोग सिखाती हैं। किताब हमारी सच्ची मित्र है, जिससे बनता हमारा चरित्र है।
किताब ना होती तुम्हें दुनिया को ना जान पाता और स्वयं को भी न पहचान पाता। किताब में ही महापुरुषों का संघर्ष है, किताब में ही विषाद और हर्ष है। किताब से ही जान पाया कि भारत ने आजादी कैसे पाई और किस-किस ने पाकिस्तान बनाने में भूमिका निभाई। किताब ने बताया आजादी के गुमनाम परवाने कौन थे, संसद में बम फोड़ने वाले दीवाने कौन थे। किताब ने ही बताया कि बिना खड्ग और बिना तलवार के आजादी नहीं मिली है, किताब ने बताया सुभाष, भगत सिंह, चंद्रशेखर, बटुकेश्वर दत्त जैसे बलिदानियों से अंग्रेजी सत्ता हिली है। किताबों में ही गांधी, नेहरू, पटेल हैं और सत्ता पाने के बड़े-बड़े खेल हैं। किताबों में कांग्रेस है, भाजपा है, रालोद है, सपा है। किताब में ही संविधान है और कानून की हर दफा।
किताब ने बताया कि मैं कौन हूं कहां से आया हूं कहां जाना है, किताब ने बताया क्या कहना है और क्या खाना है। किताब ने बताया आत्मा कहां है और परमात्मा कहां है। किताब ने बताया मैं मृत्यु के बाद स्वर्ग में जाऊंगा या नर्क में। किताब ने ही बताया योग क्या है, कर्म क्या है, ध्यान क्या है, किताब ने बताया सोना और हीरा की खान क्या है।
किताबों में ही राम है, कृष्ण है, ईसा है, मोहम्मद है, गुरु नानक है, जिनकी वाणी आज भी मानक है। किताबों में ही महावीर स्वामी है, गौतम बुद्ध है, जिनकी हर बात सोलह आने शुद्ध है। किताबों में राधास्वामी है जो सतलोक के स्वामी हैं। किताबों में ब्रह्माकुमारीज का ज्ञान है, जिन पर हम सबको अभिमान है।
किताबों में ही हास है परिहास है, हमारा इतिहास है। किताबों में गजल है, अजल है, सजल है। किताबों में चौपाई है, दोहा है, छंद है, कविता है, तुकबंदी है, निबंध है। किताबों में ही उर्दू, अंग्रेजी, हिंदी है जो भारत के माथे की बिंदी है।
राष्ट्रीय पुस्तक मेला आगरा 2023 में ऐसी किताबें हम सबको बुला रही हैं। आओ मेरे प्यारे आओ, किताबों को मित्र बनाओ। जीआईसी मैदान पंचकुइयां आगरा पर आओ, किताबों से प्रेम बढ़ाओ। बच्चों को भी लाओ, सोशल मीडिया के दौर में बच्चों में पढ़ने की रुचि जगाओ। 1, 2, 3 दिसंबर 2023 यानी सिर्फ तीन दिन बचे हैं और आप कहां छिपे हैं।
9412652233, 8279625939
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