डॉ भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा के शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार के काले साम्राज्य पर अब तलवार लटक रही है। नव नियुक्त मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक JD Education डॉ. मुकेश अग्रवाल ने एक ऐसा रणघोष किया है, जो भ्रष्टाचारियों की रीढ़ कंपा देगा। “शास्त्र से नहीं तो शस्त्र से!”—यह उनकी हुंकार न केवल अनुशासनहीनता और दुराचार पर करारा प्रहार है, बल्कि यह संदेश भी है कि शिक्षा का पवित्र मंदिर अब भ्रष्टाचार के दानवों से मुक्त होगा। उनकी यह आंधी गायब पत्रावलियों, फर्जी नियुक्तियों और लापरवाह अधिकारियों के गढ़ को नेस्तनाबूद करने को तैयार है। भ्रष्टाचारियों के पेट में पानी हो गया है। डॉ मुकेश अग्रवाल के आते ही ईमानदारी से काम करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यालय प्रबंधन तंत्र में खुशी की लहर दौड़ रही है। शिक्षक तो फूले नहीं समा रहे हैं, मानो उन्हें मुंह मांगा वरदान मिल गया है।
शास्त्र और शस्त्र की दोहरी रणनीति
डॉ. मुकेश अग्रवाल ने राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तर प्रदेश के शिष्टमंडल से भेंट के दौरान अपनी बेबाक शैली में स्पष्ट किया कि शिक्षा विभाग की दुरावस्था और अराजकता को सुधारने के लिए वे नियमों का पालन (शास्त्र) प्राथमिकता देंगे। किंतु यदि नियमों से काम न चला, तो दंडात्मक कार्रवाई (शस्त्र) का सहारा लेने में वे तनिक भी संकोच नहीं करेंगे। उनकी यह घोषणा भ्रष्टाचारियों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि अब न तो लापरवाही चलेगी, न ही अनुशासनहीनता।
फर्जी नियुक्तियों का काला सच उजागर
महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने डॉ. अग्रवाल को अवगत कराया कि आगरा जनपद में फर्जी नियुक्तियों की पत्रावलियाँ गायब हैं। इसके लिए जिम्मेदार लिपिकों ने न केवल विभागीय पारदर्शिता को धूमिल किया, बल्कि महत्वपूर्ण दस्तावेजों को गायब कर सरकारी कार्यों में बाधा उत्पन्न की है। इस पर डॉ. अग्रवाल ने त्वरित कार्रवाई का आश्वासन देते हुए कहा कि दोषी लिपिकों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएंगे और गायब पत्रावलियों को तलाश कर कार्यालय में जमा कराया जाएगा। यह कदम भ्रष्टाचार के गढ़ को ध्वस्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
कार्यालय में अनुपस्थिति का अंत
जिला विद्यालय निरीक्षक, आगरा, श्री चंद्रशेखर की कार्यालय में नियमित अनुपस्थिति पर उठे सवालों का जवाब देते हुए डॉ. अग्रवाल ने सख्त लहजे में कहा कि अब इस तरह का रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट ऐलान किया कि सभी शिक्षाधिकारी और कर्मचारी निर्धारित समय तक कार्यालय में उपस्थित रहकर ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें, अन्यथा उन्हें स्वयं अपना स्थानांतरण अन्यत्र कराना होगा। यह चेतावनी उन सभी अधिकारियों के लिए एक सबक है जो अपने दायित्वों से मुँह मोड़ते रहे हैं।

बंद अलमारियों का रहस्य खोलने की तैयारी
डॉ. अग्रवाल ने एक और गंभीर मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया—विभागीय लिपिकों द्वारा अलमारियों में ताले लगाकर चाबियाँ अपने साथ ले जाने की प्रथा। स्थानांतरण या सेवानिवृत्ति के बाद भी कई लिपिकों ने बिना कार्यभार सौंपे महत्वपूर्ण अभिलेखों को बंद अलमारियों में छोड़ दिया, जिससे सरकारी कार्य बाधित हो रहे हैं। इस पर उन्होंने महासंघ से लिखित शिकायत दर्ज करने का आग्रह किया और आश्वासन दिया कि जाँच के उपरांत दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। यह कदम विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही को पुनर्स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
भ्रष्टाचारियों को जेल का रास्ता
डॉ. अग्रवाल ने भ्रष्टाचारियों के लिए सबसे कठोर संदेश देते हुए कहा कि जो भी अधिकारी या कर्मचारी अनुशासनहीनता या भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाएगा, उसे न केवल निलंबन या स्थानांतरण का सामना करना पड़ेगा, बल्कि जेल की सलाखों के पीछे भी जाना पड़ सकता है। उनकी इस घोषणा ने उन सभी को सतर्क कर दिया है जो अब तक विभागीय अनियमितताओं का लाभ उठाते रहे हैं। यह संदेश स्पष्ट है—शिक्षा विभाग अब भ्रष्टाचार का अड्डा नहीं रहेगा।
महासंघ का पूर्ण समर्थन
महासंघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने डॉ. अग्रवाल को आश्वस्त किया कि उनका संगठन इस सुधार अभियान में पूर्ण सहयोग देगा। शिष्टमंडल में शामिल जिलाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र सिंह, जिला महामंत्री डॉ. दुष्यंत कुमार सिंह, जिला कोषाध्यक्ष श्री हरिओम अग्रवाल, और जिला कॉऑर्डिनेटर डॉ. के.पी. सिंह ने भी डॉ. अग्रवाल के संकल्प की सराहना की। इस एकजुटता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा विभाग में सुधार की यह लड़ाई अब केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयास बन चुकी है।

संपादकीय: डॉ. मुकेश अग्रवाल—शिक्षा के मंदिर में सुधार का प्रहरी
डॉ. मुकेश अग्रवाल का आगरा मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक के रूप में कार्यभार ग्रहण करना शिक्षा विभाग के लिए एक नए युग का सूत्रपात है। उनकी दृढ़ता, पारदर्शिता, और अनुशासन के प्रति अटूट निष्ठा ने पहले ही भ्रष्टाचारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। “शास्त्र से नहीं तो शस्त्र से” की उनकी घोषणा न केवल एक नारा है, बल्कि एक ऐसी प्रतिज्ञा है जो शिक्षा के पवित्र मंदिर को भ्रष्टाचार के दानव से मुक्त करने का संकल्प लेती है।
डॉ. अग्रवाल का पूर्व का कार्यकाल भी उनकी कार्यकुशलता और नवाचार का साक्षी रहा है। चाहे वह नकल-विहीन परीक्षाओं की रणनीति हो या डायट मथुरा में उनके द्वारा किए गए शैक्षिक प्रयोग, उन्होंने हमेशा उत्कृष्टता का परचम लहराया। उनकी यह प्रतिबद्धता कि फर्जी नियुक्तियों, गायब पत्रावलियों, और अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही की नई सुबह का संकेत है।
आज जब शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार और लापरवाही के दलदल में फँसा हुआ है, डॉ. अग्रवाल जैसे कठोर और निष्ठावान अधिकारी ही इसे उबार सकते हैं। उनकी यह लड़ाई केवल प्रशासनिक सुधार की नहीं, बल्कि समाज के भविष्य को संवारने की है।
हम आशा करते हैं कि उनका यह अभियान न केवल आगरा, बल्कि पूरे प्रदेश में शिक्षा विभाग को एक आदर्श बनाएगा। डॉ. अग्रवाल को इस पवित्र यज्ञ में हमारी शुभकामनाएँ।
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