- कोई गुरु नहीं, यूट्यूब से डांस सीखा
- स्लम में रहने वाले बच्चे स्टार बनाए
- डांस प्रस्तुति के लिए कोई मांग नहीं
- संडे को अनोखे अंदाज में समाजसेवा
डॉ. भानु प्रताप सिंह
Live Story Time
Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. एक लड़का जो लड़ाका बन गया। लड़ते-लड़ते बड़का बन गया। इतना बड़ा कि लोग उस पर गर्व करने लगे। अब यह बड़का लड़का अन्य लड़कों को बड़का बनाने में लगा हुआ है। दिन हो या रात। सुबह हो या शाम। एक ही काम। एक ही धुन। डांस, डांस, डांस। हम बात कर रहे हैं अपने देव राजपूत की। डांसर देव राजपूत की। वही देव राजपूत, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर सरपट दौड़ रहे हैं। जो स्लम में रहने वाले और विकलांग बच्चों को स्टार बना रहा है। फेसबुक पर लाइव आकर रोजाना डांस सिखा रहा है। देव राजपूत के सीने में डांस की आग लगी हुई है। ऐसी आग जो अन्य डांसरों का दर्प चकनाचूर करने वाली है। देव राजपूत वास्तव में सोशल डांसर है। समाजसेवी डांसर है।
देव राजपूत को आप देखेंगे तो लगेगा ही नहीं कि यह डांसर है। एकदम सामान्य सा लड़का है। सिर पर अंगोछा बंधा रहता है। डांसर होने का कोई घमंड नहीं। रविवार को स्कूटी पर निकलता है। प्रातः वेला में चार घंटे सिर्फ समाजसेवा करता है। किसी को भोजन, किसी को शरबत, किसी को चप्पल, किसी को नए वस्त्र देता है। फिर चाहे वह रिक्शे वाला हो, भीख मांगने वाला हो, कूड़ा बीनने वाला हो, यूं ही भटकने वाला हो, बच्चा हो, युवा हो या बुजुर्ग हो।
अगर कोई बेसहारा मनपसंद चीज की मांग करता है तो उसे भी पूर्ण करने में हिचकिचाता नहीं है। मांग पूरी करने के बाद चरण स्पर्श कर आशीर्वाद भी लेता है। ये वे व्यक्ति हैं जिनकी ओर किसी भी समाजसेवी का ध्यान नहीं है।
मदर्स डे पर देव राजपूत का एक वीडियो देखा। भगवान टॉकीज पर रहकर भिक्षावृत्ति करने वाली महिला ने चटाई और पटला (स्टूल) की मांग की। वह बाजार से सामान लेकर आया और महिला को उपलब्ध कराया। मदर्स डे पर बड़े-बड़े कार्यक्रम होते हैं। होटलों, सभागारों में भाषण झाड़े जाते हैं। महिलाएं खूब श्रृंगार करके आती हैं। जिन्हें आवश्यकता है उन तक नहीं पहुँचती हैं। देव राजपूत यह काम कर रहा है। पिछले रविवार को देव राजपूत ने बुजुर्ग रिक्शा चालकों की सेवा की।
इस तरह की समाजसेवा करके वह कहीं भी छपने के लिए नहीं देता है। फेसबुक, यूट्यूब, इंस्टाग्राम जिंदाबाद। फेसबुक पर वीडियो डाल देता है। फिर तो धड़ाधड़ कमेंट और लाइक। वीडियो हो जाता है वायरल।

पत्रकारों और सोशल मीडिया से मोह भंग
देव राजपूत पहले पत्रकारों के चक्कर में था। जब पत्रकारों ने पैसे मांगने शुरू कर दिए तो हाथ जोड़ लिए। कुछ समाजसेवियों से मदद लेना चाही। अधिकांश ने ठुकरा दिया। घर के बाहर घंटों बैठाया और चलता कर दिया। दो लोग ही मिले, जिन्होंने गले लगाया। यह रुख देखकर देव राजपूत हताश नहीं हुआ बल्कि हौसला बढ़ाया। फिर उसने सोशल मीडिया को हथियार बनाया। वीडियो बनाने लगा, सोशल मीडिया पर डालने लगा। धीरे-धीरे ही सही, प्रसिद्ध होने लगा। अब तो कहीं जाता है तो लोग पहचान लेते हैं और सेल्फी लेने लगते हैं। विभिन्न जिलों में जाकर 150 से अधिक प्रस्तुतियां दे चुका है। इस तरह देव राजपूत ने सिद्ध कर दिया है-
मंजिल उन्हीं को मिलती है
जिनके सपनों में जान होती है,
पंख से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है
और
जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का
फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का।
2012 से डांस
देव राजपूत आगरा के बोदला में रहता है। उसके पिता ओम प्रकाश वाहन चालक हैं। मां शीला देवी घर संभालती हैं। तीन भाई और दो बहनें हैं। देव राजपूत जब हाईस्कूल में था तब उसे पता चला कि डांस करने के लिए जन्मा है। 2012 से डांस करना शुरू कर दिया। आगरा में डांसर धर्मेश और राघव जुयाल आए। उनके समक्ष अपने ग्रुप के साथ प्रस्तुति दी।
दैनिक जागरण का ‘संडे का फंडा’
दैनिक जागरण ने शहर में ‘संडे का फंडा’ कार्यक्रम चलाया। इसमें डांस करना शुरू किया। देव राजपूत हर संडे विजेता बन जाता था। प्रशांत चतुर्वेदी ने देव राजपूत को रैपर्स (रिदम और कविता, संगीत पर नृत्य) कहना शुरू कर दिया। फिर देव ने रैपर्स डांस एकेडमी बना ली।

कोई गुरु नहीं, यूट्यूब पर सीखा डांस
देव राजपूत की खास बात यह है कि उसने किसी को गुरु नहीं बनाया और आज स्वयं गुरु बन गया है। यूट्यूब से डांस करना सीखा। सीखेत-सीखते 2014 से सबको डांस सिखाने लगा। स्कूलों के वार्षिक समारोह में प्रस्तुतियां दी। रैपर्स का नाम होने लगा तो आगे बढ़ने की ललक जाग उठी। इस समय वे हिपहॉप, पॉप, बॉलीवुड, हरियाणवी, लिरिकल सभी तरह का डांस करने में सिद्ध हैं।
स्लम स्टार बनाए
देव के शब्दों में, “आवास विकास कॉलोनी के सेंट्रल पार्क में घूमने जाता था। वहां बच्चे डांस करते दिखाई देते थे। मुझे लगा कि गरीब बच्चों को डांस सिखाने वाला कोई नहीं है। मैं भी पैसे न होने से किसी एकेडमी में डांस सीखने नहीं जा पाया। इसके बाद निःशुल्क डांस सिखाना शुरू कर दिया। इसके बाद सभी सरकारी स्कूलों में डांस ऑडीशन किए। चयनित बच्चों को उपहार देकर सम्मानित किया। उन्हें मंच प्रदान किया। मिल्टन पब्लिक स्कूल में कार्यक्रम कराया। वहां से चयनित बच्चों को 100 से अधिक मंच प्रदान कर चुका हूँ। मेरे ग्रुप में 15 बच्चे हैं। इन बच्चों को ‘स्लम स्टार’ कहा जाता है। असल में स्लम स्टार के नाम से गांवों में जाकर प्रतिभाओं को तलाशा और तराशा था। माथुर वैश्य महासभा भवन में उन्हें सम्मानित किया। इसमें आयकर आयुक्त अमर पाल सिंह ने आकर सम्मान बढ़ाया।”
घर वालों ने किया फुल सपोर्ट
घर वाले कहते थे कि पढ़ ले, डांस में क्या रखा है। मैंने हाईस्कूल में ही सोच लिया था कि डांस करना है। मेरी लगन देखकर फिर घर वालों ने पूरा स्पोर्ट किया। डांस करते हुए बीकॉम कर लिया। इस तरह घर वालों की पढ़ने की इच्छा पूरी की और अपनी इच्छा पूरी कर ही रहा हूँ। अपने घरवालों को खुश किए बिना कोई भी सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती है। मैं अपने माता-पिता और भाई बहनों का सदैव ऋणी रहूंगा।
किसी डांस गुरु से डांस सीखते तो और अच्छा कर पाते?
गुरु को तो पैसे से मतलब होता है। 20 प्रतिशत गुरु ऐसे हैं जो अपने शिष्यों को आगे निकालना चाहते हैं। इसके विपरीत मैं अपने बच्चों की पहचान बनाना चाहता हूँ। आमतौर पर गुरु स्वयं के वीडियो वायरल करता है और मैं अपने बच्चों को फेसबुक और यूट्यूब पर उनके अकाउंट बनाकर फेमस करता हूँ।
गुरु हमारी कमियां दूर करता है, जो हमें पता नहीं होती हैं?
मुझे 12 साल का अनुभव है। मैंने राघव, धर्मेश, सरोज खान के सामने डांस किया है। मैं यह भी जानता हूँ कि टीवी रियलिटी शो में पैसे की वजह से आगे नहीं पहुंच पाते हैं। टीवी रियलिटी शो में पैसे लिए जाते हैं। फर्जी कहानियां गढ़ी जाती हैं। मेरे पास भी फोन आया था कि बच्चे से कहना कि इंटरव्यू में बताए कि किराये पर रहता है। मुझे सरोज खान ने सलेक्ट किया था लेकिन एक लाख रुपये की डिमांड की गई थी। यह सुनकर मैंने रिएलिटी शो में जाने का विचार त्याग दिया। अब सोशल मीडिया ही मेरा हथियार है। सोशल मीडिया से ही लोगों को आमंत्रण मिलता है। खुशी मिलती है।
कोई खास वीडियो हैं क्या?
सोशल मीडिया पर एक वीडियो गोविंदा डांस का है जिसके 14 मिलिनय व्यूज हैं। बच्चों का वीडियो पर 24 मिलियन व्यू हैं। इसमें डीजे पर डुअट डांस किया है।
निःशुल्क सिखाने का मतलब है कि आप घर वालों पर बोझ बने हुए हैं?
जो डांस सीखने का शुल्क दे सकते हैं, उनसे लेता हूँ। लेडीज संगीत में कोरियोग्राफी का शुल्क लेता हूँ। जो नहीं दे सकते हैं, उनसे नहीं लेता हूँ। सोशल मीडिया से पैसा आता है। घर वालों की मदद कर रहा हूँ। मैंने डांस सीखने या अपनी एकेडमी स्थापित करने के लिए घर वालों से कभी भी पैसे नहीं लिए हैं। मैंने डांस एकेडमी शुरू की तो बहुत आर्थिक तंगी थी लेकिन अब ठीक है।
आखिर आप करना क्या चाहते हैं?
डांस में आगे बढ़ना है। डांस के माध्यम से लोगों की सेवा करनी है। जो पैसे के अभाव में डांस नहीं सीख पाते हैं, उनकी मदद करनी है। मैं गर्व के साथ कह सकता हूँ कि आय का आधा हिस्सा सेवा में व्यय करता हूँ।
किस तरह से सेवा कर रहे हैं?
एक माह से हर रविवार को प्रातः 6 से 10 बजे तक सिर्फ सेवा कार्य करता हूँ। कई बच्चों की फीस तक देता हूँ। स्लम स्टार को कपड़े और खाना तक खिलाता हूँ। फीस भी भरता हूँ। सारा सामान अपनी स्कूटी में लेकर चलता हूँ। भिक्षावृत्ति करने वालों से बात की है। वे भीख नहीं मांगना चाहते हैं लेकिन कई कारणों से विवश हैं। उन्हें आश्रम भेजने की व्यवस्था कराने में लगा हुआ हूँ। यह काम पहले भी करता था लेकिन अब नियमित कर दिया है।
कहीं प्रस्तुति देने जाते हैं तो फीस लेते होंगे?
जी नहीं। हमारी कोई मांग नहीं होती है। जो अपनी मर्जी से दे वही ठीक है। मेरा मुख्य उद्देश्य कलाकारों को सम्मान दिलाना है।
क्या डांस कोई भी सीख सकता है?
जिसे डांस के बारे में कुछ भी नहीं आता है, तो भी सीख जाएगा, अगर मेहनत और मन है तो। जिनके हौसले बुलंद नहीं, वहीं डांस नहीं सीख पाते हैं।
ऑनलाइन डांस सिखाते हैं क्या?
रोजाना रात्रि 9.45 बजे से फेसबुक पेज पर लाइव आता हूँ। जो डांस सीखना चाहते हैं उनका मार्गदर्शन करता हूं। सबकुछ फ्री है।
अब तो लोग पहचानने लगे होंगे?
ठेल पर खड़े होकर कुछ खाता हूँ तो पहचान लेते हैं। पूरे देश से फोन आते हैं डांस सीखने के लिए। कई कारणों से आगरा नहीं आ पाते हैं। कानपुर का चार साल का छोटा बच्चा है, फेसबुक के माध्यम से जुड़ा था। उसकी वाडियो अपने फेसबुक पेज पर डाली तो एक लाख से अधिक व्यूज आए। इसके बाद बच्चा खासा उत्साहित हो गया।
ऐसा कुछ जो टीस देता है?
हम बच्चों को डांस सिखा रहे हैं, बच्चा अच्छा कर रहा और अचानक ही माता-पिता डांस सिखाना बंद करा देते हैं तो हमारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। इसके अलावा बच्चे दूसरी एकेडमी में चले जाते हैं, तो मन दुखी होता है।
लॉकडाउन में तो डांस बंद रहा होगा?
कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन में मैंने डांस के माध्यम से लोगों का मनोरंजन किया। इससे मेरा उत्साह बढ़ गया और नया मुकाम मिला।
विवाह के बारे में क्या विचार है?
विवाह का अभी विचार नहीं है।
कोई खास दोस्त है क्या?
मेरा कोई दोस्त नहीं है। मैं अपने डांसर बच्चों के साथ रहना पसंद करता हूँ। बच्चों के साथ आनंदित रहता हूँ। विकलांग बच्चों को भी डांस सिखा रहा हूँ ताकि वे किसी पर आश्रित न रहें।
डांस कहां सिखाते हैं?
रैपर्स डांस एकेडमी, सेक्टर 5, आवास विकास कॉलोनी आगरा। प्रातः 6-8 बजे और शाम को 4-7 बजे तक।
अपना जन्मदिन कैसे मनाते हैं?
बर्थ डे पर 50 बच्चों को सम्मानित करता हूँ।
‘लाइव स्टोरी टाइम’ का मत है कि अगर देव राजपूत स्वाभिमान के साथ डांस में लगा रहा तो कोई डांसरों के लिए खतरा बन सकता है।
और अंत में
देव राजपूत पर साहिर लुधियानवी का ये शेर सटीक बैठता है-
हज़ार बर्क़ गिरे लाख आँधियाँ उट्ठें
वो फूल खिल के रहेंगे जो खिलने वाले हैं
मदर्स डे पर गिफ्ट
https://www.facebook.com/reel/993755502254728
20 एम व्यूज वाला वीडियो
https://www.facebook.com/reel/962096448797153
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