कोलकाता का साहित्य महोत्सव विवाद: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम कट्टरपंथ

एड.संजय पांडे(वकील, मुंबई उच्च न्यायालय) 31 अगस्त से 3 सितम्बर के बीच, कोलकाता के अकादमी दफ़्तर, रफ़ी अहमद किदवई रोड, कला मंदिर में ‘उर्दू का हिंदी सिनेमा में योगदान’ विषय पर कार्यक्रम रखा गया था। इसमे मुशायरा, फ़िल्म स्क्रीनिंग, संगोष्ठियाँ होने थे। मुशायरे के मुख्य अध्यक्ष व अतिथि प्रसिद्ध गीतकार, कवि और पटकथा लेखक जावेद […]

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गुड़गांव बनाम नोएडा, ग्रेटर नोएडा : विकास की जंग

गुड़गांव आर्थिक शहर है। उत्तर भारत का बिजनेस हब हैं। इसमें दुनियां भर की मल्टीनेशनल कंपनियों के ऑफिस हैं। इस शहर में अंतर राज्य वाली दिल्ली मेट्रो है, शहर के अंदर के लिए लोकल मेट्रो है, हाइवे है गगनचुंबी ऑफिस हैं। गुड़गांव हरियाणा में सबसे ज्यादा राजस्व कमाने वाला शहर है। यहां कुछ एरिया में […]

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न्यायालय की फटकार और डॉक्टरों की लिखावट

“जहाँ पर्ची के हर अक्षर स्पष्ट होंगे, वहीं मरीज का जीवन और अधिकार सुरक्षित रहेंगे।” डॉ सत्यवान सौरभ “पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट का हालिया आदेश एक मील का पत्थर है। अदालत ने डॉक्टरों को साफ और स्पष्ट पर्ची लिखने का निर्देश देकर सीधे मरीज के जीवन और अनुच्छेद 21 से इसे जोड़ा है। यह आदेश केवल लिखावट […]

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शब्दों का कारोबार: जब माँ पर शुरू हुई राजनीति….

आगरा बीजेपी महिला मोर्चा ने शुरू की राजनीति, कॉग्रेस कार्यालय को घेरने की नकाम कोशिश कहां माफी मांगे राहुल नहीं तो देश में रहने नहीं दिया जाएगा: देश से निकलाना हुआ इतना आसान की अब बीजेपी कार्यकर्ता निकाल देगे देश से बाहर चुनाव का मौसम आते ही देश में हर बात, हर बयान, और हर […]

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शब्दो के जाल से नस्लवादी राजनीति…नीली जींस में यूजेनिक्स के अवशेष….

कल्पना पांडे कपड़े बेचने वाली ‘अमेरिकन ईगल’ नामक आर्थिक घाटे में चल रही कंपनी ने 23 जुलाई 2025 को गोरी त्वचा, सुनहरे बाल और नीली आँखों वाली अभिनेत्री सिडनी स्वीनी को बतौर मॉडेल लेते हुए एक विज्ञापन जारी किया। इस विज्ञापन में ‘सिडनी स्वीनी हैज ग्रेट जींस’ नामक कैचलाइन का उपयोग किया गया। अंग्रेजी के […]

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 43 बार टाली जमानत: सीजेआई का कड़ा वार और लोकतंत्र से जुड़ा असहज सवाल

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की बेंच ने इलाहाबाद हाईकोर्ट पर एक टिप्पणी की है, जिसकी गूंज अदालतों की दीवारों से बाहर, लोकतंत्र की आत्मा तक सुनाई देनी चाहिए। मामला किसी साधारण बहस का नहीं था, बल्कि एक इंसान की ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता’ का था। लेकिन हाईकोर्ट ने इसे […]

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शिक्षा, संस्कार और समाज की जिम्मेदारी : बदलते छात्र-शिक्षक संबंध और सही दिशा की तलाश

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार आज शिक्षा केवल अंक और नौकरी तक सीमित हो गई है। नैतिक मूल्य और संस्कार बच्चों की प्राथमिकता से गायब होते जा रहे हैं। परिणामस्वरूप शिक्षक-छात्र संबंधों में खटास बढ़ रही है और अनुशासनहीनता सामने आ रही है। यदि परिवार, समाज, शिक्षक और प्रशासन मिलकर सही कदम नहीं […]

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परंपरा से प्रौद्योगिकी की ओर: प्राचीन ज्ञान और भविष्य की तकनीक का सेतु है संस्कृत

डॉ सत्यवान सौरभ संस्कृत केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि भविष्य की संभावना है। इसकी वैज्ञानिक व्याकरणिक संरचना आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और डिजिटल तकनीकों के लिए आदर्श है। संस्कृत का पुनर्जीवन भारत को ज्ञान और तकनीक की दिशा में विश्व का नेतृत्वकर्ता बना सकता है। यह भाषा हमारी सांस्कृतिक पहचान को सुरक्षित रखते हुए […]

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क्या भारत की नई ‘राजनीतिक डिक्शनरी’ में बापू का स्थान अब सावरकर से नीचे है?

आगरा — सत्ता का रंग ऐसा होता है कि वह हर चीज़ को अपनी सुविधा के अनुसार ढाल लेता है। इतिहास, भूगोल, यहाँ तक कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरें भी। और जब सत्ता के पास ‘प्रशासनिक’ और ‘वैचारिक’ दोनों तरह की बैसाखियाँ हों, तो फिर क्या कहने! पेट्रोलियम मंत्रालय के एक ताज़ा पोस्टर ने […]

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सोचिए! आप किसे फॉलो कर रहे हैं…लोकप्रियता नहीं, आदर्श ही जीवन की दिशा तय करते हैं

डॉ सत्यवान सौरभ फॉलो करना केवल सोशल मीडिया पर बटन दबाना नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन की दिशा तय करता है। करोड़ों लोग किसी को फॉलो करें, इसका अर्थ यह नहीं कि वह सच्चा आदर्श है। पान–गुटखा बेचने वाला खुद गुटखा नहीं खाता, यही दिखावे और सच्चाई का अंतर है। असली प्रेरणा हमें शहीदों, […]

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