चीन और पाकिस्तान की सेना के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने साल 2022 के लिए कुल रक्षा बजट को बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ कर दिया है। यह साल 2021-22 में 4.78 लाख करोड़ था। इस बार के रक्षा बजट में भारतीय सेना से ज्यादा भारतीय नौसेना के लिए बजट रखा गया है। सेना के लिए जहां 32,015 करोड़ दिए गए हैं, वहीं भारतीय नौसेना के लिए 47,590 करोड़ आंवटित किया गया है। भारत ने नौसेना के रक्षा बजट में यह बढ़ोत्तरी ऐसे समय पर की है जब चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं हिंद महासागर के लिए नापाक मंसूबा बनाए हुए हैं।
दरअसल, दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना बना चुका चीनी ड्रैगन लगातार हिंद महासागर पर टेढ़ी नजरें गड़ाए हुए है। चीन की नौसेना के जहाज लगातार दक्षिण चीन सागर से लेकर अफ्रीका के जिबूती तक गश्त लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि दक्षिण चीन सागर पर ‘कब्जे’ के बाद चीन की नजर हिंद महासागर पर होगी जो भारतीय प्रभाव वाला समुद्री क्षेत्र माना जाता रहा है। चीन ने इसके स्पष्ट संकेत भी दे दिए हैं। ड्रैगन पाकिस्तान के ग्वादर में नौसैनिक अड्डा बना रहा है। वहीं जिबूती में उसका नेवल बेस पहले से ही मौजूद है।
भारतीय नौसैनिक जहाज पहले से ज्यादा लगा रहे गश्त
चीन, श्रीलंका और मालदीव में भी भविष्य में अपनी नौसैनिक गतिविधि को बढ़ाना चाहता है। यही नहीं चीन ने हाल ही में म्यांमार को अपनी पनडुब्बी भी दी है। चीन के व्यापारिक जहाज अब सिंगापुर से माल लेकर बंगाल की खाड़ी में म्यांमार तक जाने लगे हैं। इससे चीन को भारत की नाक के नीचे अपनी गतिविधियों को चलाने का मौका मिल गया है। भारत ने इसी खतरे को भांपते हुए अपने युद्धपोतों को पहले की तुलना में ज्यादा गश्त पर भेजना शुरू कर दिया है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार इतने ज्यादा जंगी जहाज भारत के आसपास के समुद्र में गश्त लगा रहे हैं। चीन और पश्चिमी देश जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया अब हिंद महासागर में अपनी गश्त को बढ़ा रहे हैं। भारतीय नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक हिंद महासागर में अब हर समय 125 विदेशी जंगी जहाज मौजूद रहते हैं। यह 11 सितंबर को अमेरिका में आतंकी हमले के बाद तैनात किए गए जंगी जहाजों की तुलना में 3 गुना ज्यादा है।
चीन की तुलना में भारत के पास मात्र एक तिहाई जंगी जहाज
भारतीय नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि वे फिलहाल खतरे से निपटने के लिए आश्वस्त हैं लेकिन फंडिंग की कमी की वजह से वे चीन और अन्य देशों के साथ मुकाबला करने की क्षमता को खतरा पैदा हो गया है। समुद्र को नियंत्रित करने के लिए बेहद जरूरी भारतीय सबमरीन अब दो दशक पुरानी पड़ गई हैं। भारत अपने युद्धपोतों की संख्या को बढ़ाकर 200 करना चाहता है। भारतीय नौसेना एक तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर चाहती है लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिल पा रही है।
भारतीय नौसेना के पास अभी 130 युद्धपोत हैं जो चीन की नौसैनिक ताकत का केवल एक तिहाई है। चीन की नौसेना में 350 जंगी जहाज और सबमरीन हैं जो दुनिया में सबसे ज्यादा हैं। इस खतरे के बाद भी नौसेना को कम पैसे से काम चलाना पड़ा था। चीन के साथ पाकिस्तान भी लगातार अपनी जंगी ताकत को बढ़ा रहा है। पाकिस्तानी नौसेना ने चीन को कई अत्याधुनिक जंगी जहाज और सबमरीन बनाने का ऑर्डर दिया हुआ है जो अब धीरे-धीरे उसे मिलने लगी हैं। ऐसे में भारतीय नौसेना के लिए दोहरा खतरा पैदा हो गया है।
-एजेंसियां
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