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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat.
आगरा के वायु विहार में नवनिर्मित सड़क के धंसने और ट्रोला पलटने की घटना ने स्थानीय प्रशासन और ठेकेदारों की मिलीभगत को उजागर कर दिया है। 7.91 करोड़ रुपये के भारी-भरकम बजट से बनी यह सड़क मानसून की पहली बारिश से पहले ही धंस गई, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठे हैं। वायु विहार सड़क संघर्ष समिति ने इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और सड़क की गुणवत्ता की जांच की मांग की है।
सड़क धंसने की घटना: लापरवाही का जीता-जागता सबूत
आज सुबह वायु विहार की नवनिर्मित सड़क पर बाबू जी चौराहे के पास रतन पैलेस के सामने एक बजरी से भरा ट्रोला सड़क धंसने के कारण पलट गया। इस हादसे में डिवाइडर टूट गया, बजरी सड़क पर फैल गई और कई घंटों तक यातायात बाधित रहा। जेसीबी की मदद से ट्रोले को सीधा किया गया। सौभाग्यवश, इस घटना में कोई जनहानि नहीं हुई, लेकिन यह हादसा निर्माण में घटिया सामग्री और लापरवाही का स्पष्ट प्रमाण है। यह सड़क, जो दिल्ली-आगरा और जयपुर-आगरा राजमार्गों को जोड़ती है, अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। फिर भी, इसके निर्माण में की गई घोर अनदेखी ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

7.91 करोड़ का टेंडर: जनता के पैसे की बर्बादी
वायु विहार सड़क के निर्माण के लिए आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) ने अगस्त 2024 में 7.91 करोड़ रुपये का टेंडर जारी किया था। इस सड़क का निर्माण अप्रैल 2025 तक पूरा होना था। हालांकि, सड़क का कुछ हिस्सा अभी भी अधूरा है, जैसे डिवाइडर पर पीली और काली पट्टियां बनाना। इतने बड़े बजट के बावजूद सड़क की गुणवत्ता इतनी खराब है कि यह मानसून की पहली बारिश से पहले ही धंस गई। यह स्पष्ट है कि टेंडर की राशि का बड़ा हिस्सा ठेकेदारों और अधिकारियों की जेब में गया, जबकि जनता को केवल खोखली सड़कें मिलीं।
वायु विहार सड़क संघर्ष समिति: जनता की आवाज
वायु विहार सड़क संघर्ष समिति ने इस घोटाले को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समिति ने 2015 से ही सड़क की बदहाल स्थिति के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, जब सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए थे और बारिश में दुर्घटनाएं आम हो गई थीं। समिति के सचिव विजयपाल नरवार ने न केवल सड़क निर्माण के लिए शासन का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि अब निर्माण की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए हैं। समिति ने त्रिसदस्यीय जांच कमेटी के गठन की मांग की है ताकि सड़क में प्रयुक्त सामग्री और निर्माण प्रक्रिया की गहन जांच हो सके। समिति के इस साहसिक कदम ने स्थानीय निवासियों को एकजुट किया और नागरिक जागरूकता का शानदार उदाहरण पेश किया।

भ्रष्टाचार का जाल: ठेकेदार और इंजीनियरों की सांठगांठ
इस घोटाले के पीछे ठेकेदारों और इंजीनियरों की मिलीभगत स्पष्ट है। 7.91 करोड़ रुपये का बजट होने के बावजूद सड़क में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया। निर्माण के दौरान न तो उचित मिट्टी परीक्षण किया गया और न ही डिजाइन मानकों का पालन किया गया। ठेकेदारों ने लागत कम करने के लिए सस्ती सामग्री का उपयोग किया, जबकि इंजीनियरों ने इसकी अनदेखी की। निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण की प्रक्रिया को जानबूझकर कमजोर किया गया ताकि ठेकेदार अधिक मुनाफा कमा सकें। यह केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक सुनियोजित भ्रष्टाचार का जाल है, जिसने जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाई है।
जांच की मांग: पारदर्शिता की जरूरत
वायु विहार सड़क संघर्ष समिति की मांग है कि सड़क निर्माण की गुणवत्ता की जांच के लिए एक त्रिसदस्यीय कमेटी गठित की जाए। इस कमेटी को न केवल निर्माण सामग्री की जांच करनी चाहिए, बल्कि टेंडर प्रक्रिया, फंड के उपयोग और ठेकेदारों के चयन की भी गहन पड़ताल करनी चाहिए। जनता को यह जानने का हक है कि उनके टैक्स के पैसे का दुरुपयोग कैसे हुआ। पारदर्शी जांच ही इस घोटाले के दोषियों को सजा दिला सकती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकती है।
संपादकीय टिप्पणी: भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता की जीत
वायु विहार सड़क निर्माण में हुआ 7.91 करोड़ रुपये का घोटाला न केवल सरकारी तंत्र की विफलता को दर्शाता है, बल्कि ठेकेदारों और इंजीनियरों की मिलीभगत का भी पर्दाफाश करता है। यह शर्मनाक है कि इतने बड़े बजट के बावजूद सड़क मानसून की पहली बारिश से पहले ही धंस गई। ठेकेदारों ने घटिया सामग्री का उपयोग करके और इंजीनियरों ने निरीक्षण में लापरवाही बरतकर जनता के साथ विश्वासघात किया है। इस घोटाले ने एक बार फिर साबित किया कि भ्रष्टाचार का यह जाल कितना गहरा और व्यापक है।
हालांकि, इस अंधेरे में एक उम्मीद की किरण है, और वह है वायु विहार सड़क संघर्ष समिति। समिति ने न केवल सड़क निर्माण के लिए शासन को मजबूर किया, बल्कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आवाज बुलंद की है। यह नागरिक जागरूकता का शानदार उदाहरण है, जो दर्शाता है कि जब जनता एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ती है, तो कोई भी ताकत उसे दबा नहीं सकती। जरूरत है कि प्रशासन इस मामले में तुरंत कार्रवाई करे, दोषियों को सजा दे और भविष्य में ऐसी लापरवाही को रोके। पारदर्शिता और जवाबदेही ही इस भ्रष्टाचार के जाल को तोड़ सकती है। जनता की यह लड़ाई तब तक जारी रहनी चाहिए, जब तक हर टैक्स का पैसा जनता के हित में उपयोग न हो।
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