राष्ट्रभक्ति के नारों के बीच ठहाकों की गूंज
✍ डॉ. भानु प्रताप सिंह
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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. समाजसेवा और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए समर्पित भारत विकास परिषद समर्पित आगरा ने अपनी रजत जयंती के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया। जहाँ एक ओर राष्ट्रभक्ति के नारे— “भारत माता की जय”, “जय श्रीराम” और “हर-हर महादेव”—की गूंज से माहौल गूंजायमान हुआ, वहीं दूसरी ओर हास्य कवियों ने अपनी तीखी मगर मज़ाकिया टिप्पणियों से श्रोताओं को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए जितेंद्र मित्तल ने अपनी वाक्पटुता से श्रोताओं को तालियाँ बजाने पर विवश कर दिया। उन्होंने कहा,
“भारत विकास परिषद ने सड़क पर काम किया है, यही इसकी असली पहचान है।”
हास्य के धारदार तीर, व्यंग्य की बौछार
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त आगरा के लाड़ले हास्य कवि पवन आगरी ने मंच पर आते ही श्रोताओं पर हास्य बाणों की बौछार कर दी। उन्होंने आयोजन समिति पर कटाक्ष करते हुए कहा—
“आप चाहते तो फिल्मी नाइट भी करा सकते थे, लेकिन कम पैसों में कवि सम्मेलन ही सबसे अच्छा विकल्प था।”
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप पार्टी की आतिशी की जीत पर व्यंग्य करते हुए बोले—
“भाजपा ने आतिशी को इसलिए जीतने दिया, क्योंकि कन्या भ्रूण हत्या अपराध है।”
हिंदी भाषा की दुर्दशा पर उनकी पैनी नजर थी। उन्होंने रेलवे स्टेशन का एक व्यंग्य सुनाया—
“यात्री ने पूछा—‘पूछताछ कार्यालय कहां है?’ दूसरे ने उत्तर दिया—‘मुझे नहीं मालूमस, इनक्वायरी पर जाकर पूछ लो!’”
“पहले दूध दही की नदियां बहा करती थीं और अब दूध दही की थैलियों से नदियों का प्रवाह रुक रहा है।”
राहुल गांधी: हास्य कवियों के ‘कुल देवता‘!
‘लपेटे में नेताजी’ फेम कवि अवनीश त्रिपाठी ने कविता के बजाय ऐसे चुटकुले प्रस्तुत किए कि श्रोता ठहाके लगाने पर मजबूर हो गए।
उन्होंने राहुल गांधी पर व्यंग्य करते हुए कहा—
“राहुल गांधी चाहते हैं कि सब उन्हें आयरन मैन मानें, लेकिन सब उन्हें डोरेमॉन समझते हैं।”
राहुल गांधी के कपास के खेत में जाने का प्रसंग सुनाते हुए बोले—
“किसान ने कहा—‘कपास से कपड़े बनते हैं।’ राहुल गांधी बोले—‘अच्छा! तो कुर्ता वाला पौधा कौन सा होता है?’”
राजनीतिक व्यंग्य में उन्होंने जोड़ा—
“आम आदमी पार्टी वाले अन्ना हजारे को टोपी पहनाने गए तो अन्ना बोले—‘एक टोपी पहले ही पहना चुके हो, अब दूसरी नहीं झेल सकता।’”
उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा—
“एक कांग्रेसी ने भित्तिचित्र पर ‘अटल‘ और ‘मृत्यु‘ लिखा देखा, तो नीचे लिख दिया— ‘मृत्यु न अटल है, न आडवाणी। मृत्यु तो राहुल गांधी है।‘”
देशभक्ति के रंग में रंगी ओजस्विनी काव्यधारा
जहाँ हास्य कवियों ने माहौल को हल्का-फुल्का बनाए रखा, वहीं ‘वाह भाई वाह’ फेम ओजस्वी कवयित्री शिखा सिंह ने अपने काव्यपाठ से राष्ट्रभक्ति की ज्वाला जला दी।
उन्होंने गर्वोक्ति के साथ कहा—
“विजय समस्त विश्व इतना वो समर्थ है, वो देश जग में एकमात्र मेरा आर्यावर्त है!”
साथ ही उन्होंने अपनी शिव वंदना का सस्वर पाठ किया, जिसे उन्होंने महाशिवरात्रि के दिन रचा था।
शिखा सिंह ने एक भी चुटकुला नहीं सुनाया। उन्होंने ऐसे छंद सुनाए जो सबको भाये।
समाज की पीड़ा को शब्दों में उकेरा
समारोह के स्वागत अध्यक्ष डॉ. कैलाश विश्वानी ने डायबिटीज पर एक अनूठी कविता प्रस्तुत की, जो लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की प्रेरणा दे रही थी।
इसके अलावा, उन्होंने विधवा आश्रम में दिन काट रही एक मां की पीड़ा को शब्दों में ढालकर श्रोताओं की आँखें नम कर दीं।
भारत विकास परिषद समर्पित आगरा का यह रजत जयंती समारोह सिर्फ एक साधारण कवि सम्मेलन नहीं था, बल्कि इसमें हास्य, व्यंग्य, राष्ट्रभक्ति और समाज की वास्तविकताओं का अद्भुत मिश्रण देखने को मिला। जहाँ एक ओर राजनीति पर चुटीले तंज थे, वहीं दूसरी ओर संस्कार और संस्कृति की गहरी छाप भी नजर आई।
इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि कवि सिर्फ शब्दों के जादूगर नहीं होते, बल्कि वे समाज के सच को बेबाकी से कहने का साहस रखते हैं।