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सड़कों पर दौड़ रहे 5 में से 4 ट्रान्सपोर्ट वाहन बिना स्पीड गवर्नर के,फिर भी नहीं होते चालान, केसी जैन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

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ट्रान्सपोर्ट वाहनों के हादसों को करना है कम तो लगाने होंगे स्पीड गवर्नर

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Agra, Uttar Pradesh, India, Bharat. एक्सप्रेसवे, हाईवे और सड़कों पर दौड़ रहे अधिकांश ट्रान्सपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं लगा है और ऐसे वाहन केन्द्र सरकार के द्वारा बनायी गयी केन्द्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 का नियम 118 की धज्जियां उड़ा रहे हैं। दिनांक 08.04.2024 को पूरे भारत वर्ष में कुल पंजीकृत ट्रान्सपोर्ट वाहनों की संख्या 3,29,00,129 थी जिनमें से स्पीड़ गवर्नर वाले ट्रान्सपोर्ट वाहनों की संख्या कुल 50,34,479 व स्पीड़ गवर्नर रिट्रोफिट (बाद में लगाया) की संख्या 10,31,957 थी। इस प्रकार कुल 60,66,436 ट्रान्सपोर्ट वाहनों में ही स्पीड गवर्नर लगा है जो कि कुल वाहनों की संख्या के सापेक्ष में मात्र 18.44 प्रतिशत हैं। यह खुलासा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत वरिष्ठ अधिवक्ता व रोड सेफ्टी एक्टिविस्ट के0सी0 जैन को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत उपलब्ध करायी गयी सूचना दिनांक 08 अप्रैल से हुआ है।

उपलब्ध करायी गयी सूचना से बड़े स्तर पर केन्द्रीय मोटर वाहन नियमावली के नियम 118 की अवहेलना स्पष्ट है। 5 पंजीकृत ट्रान्सपोर्ट वाहनों में से मात्र एक वाहन में स्पीड गवर्नर लगा है जबकि नियम 118 के अनुसार प्रत्येक ट्रान्सपोर्ट वाहन में स्पीड गवर्नर लगा होना चाहिए ताकि वह ट्रान्सपोर्ट वाहन निर्धारित सीमा से अधिक तेज न चल सके और सड़क हादसों को बचाया जा सके।

ट्रान्सपोर्ट वाहनों की क्या है अधिकतम सीमा

सड़क सुरक्षा बनी रहे इस नियम के अन्तर्गत ट्रान्सपोर्ट वाहनों के लिए अधिकतम सीमा 80 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित है लेकिन डंपर, टैंकर, स्कूल बस व खतरनाक सामान को ले जाने वाले वाहनों के लिए 60 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित है। यह प्राविधान 01 अक्टूबर 2015 से लागू हो गये जिसके अनुसार स्थिति से पूर्व निर्मित ट्रान्सपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर रिट्रोफिट कराया जाना है और इस स्थिति के उपरान्त निर्मित होने वाले वाहनों में वाहन निर्माता के द्वारा ही स्पीड़ गवर्नर लगाये जाने हैं। स्पीड़ गवर्नर लगाने की आवश्यकता से फायर टेण्डर, एम्बूलेन्स व पुलिस वाहन आदि कुछ ट्रान्सपोर्ट वाहन मुक्त हैं।

यमुना एक्सप्रेसवे, आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे व दिल्ली मुम्बई नेशनल एक्सप्रेसवे आदि पर भी गति सीमा नियम 118 के अनुसार वाहन की श्रेणी को देखते हुए 80 किलोमीटर या 60 किलोमीटर अधिकतम होनी चाहिए लेकिन इन एक्सप्रेसवेज पर ट्रान्सपोर्ट वाहनों को भी अधिक गति सीमा से दौड़ते हुए देखा जा सकता है।

वाहन पोर्टल पर स्पीड़ गवर्नर की सूचनाऐं हैं उपलब्ध तो चालान क्यों नहीं

अधिवक्ता जैन ने कहा कि ट्रक, बस आदि ट्रान्सपोर्ट वाहनों से होने वाले सड़क हादसों से जनहानि व सम्पत्ति की हानि बड़े स्तर पर हो सकती है इसको देखते हुए स्पीड़ गवर्नर का प्राविधान नियमावली के अन्तर्गत है लेकिन उसका अनुपालन नहीं हो रहा है। वाहन पोर्टल पर प्रत्येक ट्रान्सपोर्ट वाहन का विवरण है जिसमें स्पीड गवर्नर लगा है और इस प्रकार वाहन पोर्टल से किसी भी ट्रान्सपोर्ट व्हीकल के बारे में यह मालूम किया जा सकता है कि उसमें स्पीड़ गवर्नर लगा है अथवा नहीं। मोटर वाहन अधिनियम की धारा 56 के अन्तर्गत बिना स्पीड गवर्नर के कोई वाहन नहीं चलाया जा सकता है और फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं मिलेगा।

जब वाहन पोर्टल स्पीड़ गवर्नर के सम्बन्ध में सूचनायें उपलब्ध हैं तो फिर पुलिस प्रशासन और परिवहन विभाग आखिर क्या कर रहा है। सड़क सुरक्षा के लिए ट्रान्सपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर लगा होना आवश्यक है। आॅटोमेटिक नम्बर प्लेट रीडर कैमरा जब यमुना एक्सप्रेसवे या लखनऊ एक्सप्रेसवे पर किसी बस, ट्रक या अन्य ट्रान्सपोर्ट वाहन का विवरण निकाल लेता है तो चालान करने वाले सोफ्टवेयर में स्पीड गवर्नर न लगने पर ई-चालान स्वतः ही क्यों नहीं सृजित होता है जो सरलता से सोफ्टवेयर डिजाइनिंग में बदलाव कर सम्भव है।

राज्य सरकारों का है दायित्व

ट्रान्सपोर्ट वाहनों में स्पीड गवर्नर के नियम को लागू करने का दायित्व राज्य सरकारों का है और उपलब्ध करायी गयी सूचना में भी यह उल्लेख किया है कि मोटर वाहन अधिनियम एवं केन्द्रीय मोटर वाहन नियमावली 1989 का कार्यान्वयन सम्बन्धित राज्य सरकार या केन्द्र शासित प्रदेश का है लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी का वहन करने में असफल हैं और बिना स्पीड गर्वनर के ट्रान्सपोर्ट वाहन बेधड़क सड़कों पर दौड़ रहे हैं। केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को अनेकों एडवाइजरी भी समय-समय पर भेजी गयी हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका

अधिवक्ता जैन द्वारा स्पीड़ गवर्नर के इस विषय को लेकर याचिका सं0 77921 वर्ष 2024 को रिट याचिक सिविल सं0 295 वर्ष 2012 में दिनांक 01.04.2024 को प्रस्तुत किया गया है जिसमें सूचना अधिकार में प्राप्त हुई सूचना को भी मा0 न्यायालय के संज्ञान में अभी हाल में लाया गया है। इस याचिका में यह भी मांग की गयी है कि मोटर वाहन अधिनियम की धारा 62-ए के अन्तर्गत बिना स्पीड़ गवर्नर के कोई फिटनेस प्रमाण पत्र न दिया जाये। इस सम्बन्ध में वाहन चालकों के मध्य जागरूकता भी उत्पन्न की जाये तथा ट्रान्सपोर्ट वाहनों से होने वाले सड़क हादसों व मौतों का विवरण अलग से तैयार कर वार्षिक रूप से प्रकाशित किया जाये। अब इस याचिका की सुनवाई ग्रीष्म कालीन अवकाश के उपरान्त 11 जुलाई 2024 को नियत है।

 

Dr. Bhanu Pratap Singh