आगरा में क्या सब शांत था, तब मिला सम्मान, कैसे और क्यों हुई मैडल की हुई बरसात

आगरा। क्या आप सोच रहे हैं कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट में सब कुछ शांत है? कोई अपराध नहीं, कोई उत्पीड़न नहीं, कोई लापरवाही नहीं? अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही हैं। क्योंकि तभी तो स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां के पुलिस अधिकारियों को इतने मेडल मिले हैं। इतने मेडल कि […]

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आगरा में क्या सब शांत था, तब मिला सम्मान, कैसे और क्यों हुई मैडल की हुई बरसात

आगरा। क्या आप सोच रहे हैं कि आगरा पुलिस कमिश्नरेट में सब कुछ शांत है? कोई अपराध नहीं, कोई उत्पीड़न नहीं, कोई लापरवाही नहीं? अगर आप ऐसा सोच रहे हैं, तो आप बिल्कुल सही हैं। क्योंकि तभी तो स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यहां के पुलिस अधिकारियों को इतने मेडल मिले हैं। इतने मेडल कि […]

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नन प्रकरण: हिंदुत्व की प्रयोगशाला बनता छत्तीसगढ़

संजय पराते छत्तीसगढ़ में दुर्ग रेलवे स्टेशन पर दो ननों, सिस्टर प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस और एक आदिवासी युवक सुखमन मंडावी पर बजरंग दल के लोगों द्वारा हमले, उनके खिलाफ जबरन धर्मांतरण और मानव तस्करी के मामले दर्ज होने, एनआईए कोर्ट द्वारा तीनों आरोपियों को जमानत मिलने का मामला मीडिया की सुर्खियों में है। […]

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रक्षाबंधन के बदलते मायने: परंपरा से आधुनिकता तक

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार रक्षाबंधन का धागा सिर्फ कलाई पर नहीं, दिल पर बंधता है। यह एक वादा है—साथ निभाने का, सुरक्षा का, और बिना कहे समझ लेने का। बहन की राखी में वो मासूम दुआ होती है जो शब्दों में नहीं कही जाती, और भाई की आंखों में वो संकल्प होता […]

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रक्षाबंधन: क्या वास्तव में निभा रहे हैं भाई-बहन प्रेम और रक्षा का वादा?

डॉ सत्यवान सौरभ रक्षाबंधन केवल राखी बांधने और गिफ्ट देने का त्योहार नहीं, बल्कि भाई-बहन के स्नेह, विश्वास और परस्पर सहयोग का प्रतीक है। आज यह पर्व सोशल मीडिया दिखावे और औपचारिकताओं में सिमटता जा रहा है। भाई-बहन सालभर दूर रहते हैं, पर एक दिन फोटो खिंचाकर ‘रिश्ता निभाने’ का प्रमाण दे देते हैं। असली […]

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आखिर PM मोदी की कम होती लोकप्रियता का कारण क्या है?

हमने पिछले डेढ़ दशक के दौरान भारतीय राजनीति को कई परिदृश्यों में बदलते देखा है। कैसे कुछ बेहतर सोशल मीडिया कैंपेन्स के दम पर एक राज्य तक सीमित राजनेता राष्ट्रीय चेहरा बन गया और सत्ता के केंद्र में स्थापित हो गया। जाहिर है बात पीएम मोदी की हो रही है जिन्होंने लगातार तीन बार न […]

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आखिर क्यों कम हो रही है PM मोदी की लोकप्रियता?

हमने पिछले डेढ़ दशक के दौरान भारतीय राजनीति को कई परिदृश्यों में बदलते देखा है। कैसे कुछ बेहतर सोशल मीडिया कैंपेन्स के दम पर एक राज्य तक सीमित राजनेता राष्ट्रीय चेहरा बन गया और सत्ता के केंद्र में स्थापित हो गया। जाहिर है बात पीएम मोदी की हो रही है जिन्होंने लगातार तीन बार न […]

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कांवड़िये तो बहाना है, उन्मादी भीड़ को हिंसक और बर्बर बनाना है!

बादल सरोज गुजरे 35-40 वर्षों, विशेषकर 1992 के बाद के भारत ने जो गंवाया है, उनमे से एक तीज-त्यौहार, यहाँ तक कि धार्मिक पर्व के उत्साह, उमंग से भरपूर उत्सवों से महरूम हो जाना है। ये सब ऐसे अवसर हुआ करते थे, जो चोटी और दाढ़ी और सलीब के फर्क को पीछे छोडकर हर चेहरे […]

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क्या नागरिक बच्चे होते हैं कि न्यायपालिका उन्हें देशभक्ति सिखायेगी?

यह वर्ष 1763 की बात है, जब जेनेवा की धार्मिक सभा ने रॉबर्ट कोवेल नामक व्यक्ति को नाजायज़ संतान के पिता होने के कारण घुटने टेककर फटकार सुनने का आदेश दिया। कोवेल ने घुटने टेकने से इनकार कर दिया और मदद के लिए वह वोल्टेयर के पास गया। वोल्टेयर उस समय ज्ञानोदय के अग्रणी प्रकाश […]

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लव जिहाद: न्यायालय की चेतावनी और समाज का आईना

डॉ सत्यवान सौरभ “लव जिहाद” — एक ऐसा शब्द जो न तो भारतीय क़ानून में परिभाषित है, न संविधान में मान्यता प्राप्त, लेकिन फिर भी राजनीतिक मंचों, टीवी डिबेट्स और सड़कों पर सुनाई देने लगा है। अब यह बहस हरियाणा तक भी पहुँच चुकी है, और अदालतों तक भी। हाल ही में हरियाणा के एक […]

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