मिलावट: शरीर ही नहीं, आत्मा को भी कर रहा है बीमार

मिलावट अब केवल खाने-पीने तक सीमित नहीं रही, यह हमारे सोच, संबंध, और व्यवस्था तक में घुल चुकी है। मूँगफली में पत्थर हो या दूध में डिटर्जेंट, यह मुनाफाखोरी की संस्कृति का विस्तार है। उपभोक्ता की चुप्पी, सरकार की ढील और समाज की “चलता है” मानसिकता ने इसे स्वीकार्य बना दिया है। मिलावट एक नैतिक […]

Continue Reading

भारतीय पारिवारिक मूल्यों के पतन का आईना है ये हृदय स्पर्शी दास्तान

“पिता का पस्त मन और पुत्रों की पश्चिमी व्यस्तता” “एक पिता की विदाई, और समाज की परीक्षा” प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार लखनऊ के एक रिटायर्ड कर्नल ने अपने बेटों को एक मार्मिक पत्र लिखकर आत्महत्या कर ली। दोनों बेटे अमेरिका में बसे थे और मां की मृत्यु पर भी पूरी संवेदनशीलता नहीं […]

Continue Reading

दिल्ली में साँसों पर संकट, पर हरियाली ने जगाई उम्मीद…!

इंटीरियर डेकोरेशन में वास्तविक हरियाली बनी पहली पसंद… दिल्ली की ओर रुख करते हुए मन में एक ही प्रश्न बार-बार कौंधता रहा—क्या इस बार भी वही धूल-धुआँ और दमघोंटू हवा स्वागत करेगी? बीते कुछ वर्षों से दिल्ली की हवा जहरीली होती जा रही है, और आंकड़े इसकी भयावहता की पुष्टि भी करते हैं। अक्टूबर से […]

Continue Reading

आगरा के पूर्व सांसद  निहाल सिंह जैन जी की पुण्यतिथि पर विशेष स्मरण: मुझे अपने व्यवहार पर आज भी शर्म आती है

सुभाष ढल एक आत्मीय संबंध की स्मृति में आज भी जब निहाल सिंह भाई साहब को स्मरण करता हूँ, तो अपने एक व्यवहार को लेकर मन में ग्लानि और शर्म का भाव उत्पन्न होता है। राजनीति और आंदोलन का दौर वर्ष 1988, स्थान नई दिल्ली – 15, नॉर्थ एवेन्यू स्थित आगरा के तत्कालीन सांसद श्री […]

Continue Reading

योगम् शरणम् गच्छामि: मनोजन्य दैहिक बीमारियों से मुक्त होने के लिए योग है जरूरी

आधुनिकता की अंधी दौड़ में हमने जितनी खराबियां बटोरी हैं उस कारण मानवी मन मस्तिष्क के सम्मुख आज अनेक समस्याएं तथा चुनौतियां उपस्थित हुई हैं। खासकर पाश्चात्य जीवन शैली और रहन सहन ने मानव को मानसिक तनाव एवं अंतहीन पीड़ा के दलदल में धकेला है। इसके साथ ही तकनीकी प्रगति के भयावह जानलेवा वेग के […]

Continue Reading

भविष्य बताने वाले, वर्तमान से बेख़बर क्यों: देश में इतने बड़े-बड़े भविष्य वक्ता… फिर भी किसी बड़े हादसे की ख़बर तक नहीं मिलती?

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार जब आपदा आई और बाबा ऑफलाइन थे जो लोग दावा करते हैं कि उनका “ऊपर वाले से सीधा संपर्क” है, वे हर बड़ी आपदा, दुर्घटना या संकट के समय चुप क्यों हो जाते हैं? क्या उनका दिव्य नेटवर्क केवल चढ़ावे और चमत्कार तक सीमित है? यह लेख उन […]

Continue Reading

योग: मन की शुद्धि से मोक्ष तक का मार्ग

प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार मन ही सब कुछ है – यही योग का मूल मंत्र है। मन की शुद्धि, आत्म-चिंतन और संतुलन से ही जीवन में स्थिरता और शांति आती है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मन, आत्मा और चेतना को जोड़ने की विद्या है। आज के तनावपूर्ण समय में, योग […]

Continue Reading

भारतीय ग्रीष्म में पाश्चात्य परिधान की विरासत व अंग्रेजी सूट की प्रासंगिकता

भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है जहाँ अधिकतर भागों में ग्रीष्मकाल प्रचंड गर्मी लेकर आता है। ऐसे में जब हम भारतीयों को अंग्रेजी सूट-पैंट जैसे शीतकालीन परिधानों में पाते हैं, तो यह केवल जलवायु के प्रतिकूलता का प्रश्न नहीं बनता, बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और मनोवैज्ञानिक विमर्शों की ज़रूरत भी पैदा करता है। देश में ग्रीष्मकाल के […]

Continue Reading

CET की डेट एक्सटेंशन का दिखावा, महज 48 घण्टे बढे, कौन जिम्मेदार है इस टॉर्चर के लिए?

“डिजिटल इंडिया” का सपना दिखाने वालों के खुद के पोर्टल इस्तेमाल के वक़्त क्यों हो जाते है ठप्प? सरल पोर्टल की असफलता: हरियाणा के युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ सर्टिफिकेट कहाँ से लाएं? प्रियंका सौरभ स्वतंत्र पत्रकार, कवयित्री और व्यंग्यकार हरियाणा में आज जो हालात हैं, वहां डिजिटल नहीं, टॉर्चर इंडिया का निर्माण हो रहा […]

Continue Reading

पुल गिरना ममता के खिलाफ भगवान का संदेश था: और जहाज गिरना ?

शकील अख्तर पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने क्या कहा था? “ यह जो पुल टूटा भगवान का संदेश है। इसे ( मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ) हटाओ नहीं तो कल यह पूरा बंगाल खत्म कर देगी! “ यह भी कहा कि चुनाव के समय पुल इसलिए गिरा है ताकि लोगों को पता चल सके […]

Continue Reading