Agra (Uttar Pradesh, India)। दिल्ली में कोरोना वायरस को फैलाने का जो काम तबलीगी जमात ने किया, आगरा में यही काम पारस हॉस्पीटल ने कर दिया। दोनों की कहानी एक जैसी है। किंतु फर्क सिर्फ इतना है कि तबलीगी जमात के अमीर मौलाना मोहम्मद साद को पकड़ने के लिए पुलिस घेराबंदी कर रही है और आगरा पुलिस पारस हॉस्पीटल के संचालक डॉ. अरिंजय जैन को पकड़ने से कतरा रही है। आगरा में अर्से से मौत का सौदागर बने इस डाॅक्टर को बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग का एक अधिकाकरी और एक जनप्रतिनिधि तीन दिन से हाथ पांव मार रहे हैं।
एफआईआर पर कार्रवाई न करने के लिए दबाव
आगरा मे कोरोना वायरस फैलाने में प्राइवेट डाक्टर और उनके हाॅस्पीलट अहम भूमिका में रहे। शुरूआती दौर में प्रशासन ने संक्रमण फैलाने पर प्राइवेट हास्पीटल संचालकों पर कार्रवाई करने में जो तत्परता दिखाई, पारस हाॅस्पीटल के मामले में उतनी ही उदासी नजर आई। ऐसा किसके इशारे पर हुआ, पत्ते खुलने लगे हैं। संघ से जुड़े एक पदाधिकारी के भाई स्वास्थ्य सेवा में खास पद पर हैं और शहर के एक जनप्रतिनिधि डाक्टर के जमाती हैं। हवा में बातें तैर रही हैं इन दोनों ने डाॅक्टर जैन पर हाथ रखने के लिए एक एक खोखा वसूला है। अब चिकित्सकों से जुड़ी एक संस्था माफियाओं के माफिक प्रशासन और पुलिस पर पारस हाॅस्पीटल के खिलाफ लिखी गई रिपोर्ट पर कार्रवाई न करने का दबाव बना रही है।
ऐसे बना आगरा मेडिकल मंडी
आगरा उत्तर भारत में प्राइवेट हाॅस्पीटल की सबसे बड़ी मंडी है। इसका कारण यह चार राज्यों हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश का केंद्र है। दरअसल एसएन मेडिकल काॅलेज देश का दूसरा और उत्तर भारत का पहला मेडिकल काॅलेज है। साल 1854 से संचालित इस चिकित्सा शिक्षा के संस्थान ने बड़ी संख्या में चिकित्सक तैयार किए हैं। आगरा में एक धनाढय वर्ग की बड़ी आवादी है। आगरा में अच्छे चिकित्सक होने के कारण दूर दराज से लोग यहां इलाज के लिए आने लगे। सभी का मेडिकल काॅलेज मे इलाज सुविधाजनक तरीके से मुमकिन नहीं हुआ तो कुछ चिकित्सक परामर्श शुल्क लेकर अपने घर पर मरीजों का उपचार परामर्श करने लगे। बस यहीं से धनाढय वर्ग ने इस पेशे में लूट शुरू कर दी। देखते ही देखते चिकित्सा सेवा का यह पेशा इस रुप में बढ गया तो प्राइवेट हाॅस्पीटल भी तैयार हो गए। नवल किशोर और डाॅक्टर सरकार, डाॅ असोपा और डाॅ राधेश्याम पारिख, कुसुम गुप्ता, डाॅ ज्ञान प्रकाश और डाॅ सिद्धार्थ अग्रवाल जैसे कई चिकित्सकों ने प्राइवेट इलाज करके भी पेशे में मर्यादा नहीं खोई। किंतु कई ऐसे हैं जो लूट के धंधे में पीछे नहीं है। इसकी बडी शुरूआत दिल्ली गेट पर काले का ताल की सरकारी जमीन पर एक बिल्डर द्वारा बनाये गए प्राइवेट हास्पीटल से हुई। इस हाॅस्पीटल के संचालक के परिवार में कोई डाॅक्टर नहीं है। इसने प्राइवेट हाॅस्पीटल को कारोबार के तर्ज पर चलाया। मसलन आसपास के जनपदों के आरएमपी डाॅक्टर को दलाली देकर उनसे मरीज मंगवाना। दवाइयों की दुकानें खोलकर मंहगी कंपनी की दबाइयां बिकवाना। बेवजह पेथोलाॅजी पर मंहगे मंहगे टेस्ट कराना आदि…।
इसी कड़ी में एमजी रोड पर संजय प्लेस की एलआईसी बिल्डिंग के सामने बने दो नर्सिंग होम के संचालकों की कहानी भी इससे ही मेल खाती है। दरअसल मरीजों की दलाली का केंद्र पहले यमुना पार हुआ करता था और एंबूलेंस में सौदागर अब मरीजों को एमजी रोड, देहली गेट और भगवान टाकीज चौराहे के आसपास संचालित नर्सिंग होम में बेचते हैं।
डाॅ अरिंजय जैन बना सुपर माफिया
पारस हाॅस्पीटल अस्तित्व में आया तो इसके संचालक डाॅ. अरिंजयजैन ने मरीजों की दलाली के धंधे में बाकी प्राइवेट हाॅस्पीटलों के सचालकों को बहुत पीछे छोड़ दिया। पारस हाॅस्पीटल का संचालक डाॅ. अरिंजय जैन ने अपने प्रतिद्वंदी बिल्डर माफिया से चार कदम आगे चलकर मरीजों के खरीद-फरोख्त के धंधे को रफ्तार दी। पारस हाॅस्पीटल से इन दिनों करीब डेढ सौ मारुति वेन को एंबूलेंस हैं जो कि आगरा के चारो तरफ करीब 300 नगरों, उप नगरों और कस्बों से मरीज ढोकर लाती हैं। उन शहरों और कस्बों में क्लीनिक और छोटे-छोटे हाॅस्पीटल चलाने वाले चिकित्सकों को दो गुने कमीशन पर मरीज दिया जाने लगा। मरीज भेजने की दलाली के साथ मरीज के इलाज के लिए मे प्रयुक्त दवाई की खरीद पर दलाली, पैथोलाॅजी और अन्य टैस्ट कराने में भी दलाली।
फिरौती की तर्ज पर मरीज की दलाली का धंधा
यह काम बिल्कुल उसी अंदाज में होता है जैसे किसी अपहरण के केस में कैरियर से मिली ” पकड़” की फिरौती वसूली होती है। पारस हाॅस्पीटल का मायाजाल ऐसा है कि इसकी इमारत जिस स्थान पर बनी है, उसका न तो आगरा विकास प्राधिकरण से आज तक नक्शा पास है और न ही अग्नि शमन विभाग से एनओसी जारी हुई है। कमाल की बात तो यह है कि हाॅस्पीटल संचालक ने इस जमीन खरीद का जो बैनामा कराया, पैमाइश में हाॅस्पीटल क्षेत्रफल की जमीन से कम है। नेशनल हाइवे पर बने इस हाॅस्पीटल बिल्डिंग के ठीक आगे सिंचाई विभाग की जमीन है, जिस पर हाॅस्पीटल संचालक डाॅ अरिंजय जैन की देखरेख में दबा की दुकान खुली है।
मीडिया में बनीं सुर्खियां तब हुई रिपोर्ट दर्ज
कोरोना वायरस का संक्रमण उत्तर प्रदेश में सबसे पहले आगरा में फैला। इसके माध्यम डाॅक्टर हैं। नामनेर, कमला नगर और बल्केश्वर में हाॅस्पीटल में इसी तरह से कोरोना फैलने का मामला सामने आया तो उनके सचालकों के खिलाफ आपराधिक धाराओं में पुलिस स्टेशन पर अभियोग पंजीकृत हो गया। किंतु पारस हाॅस्पीटल के संचालक डाॅक्टर अरिंजय जैन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने में कोताही बरती गई। प्रिंट और सोशल मीडिया का दबाव बना तो प्रशासन ने बमुश्किल मुकदम सामान्य धाराओं में दर्ज किया। किंतु जिस तरह तबलीगी जमात ने जानबूझकर कोरोना संक्रमण फैलाने का अपराध किया कमोवेश उसी तर्ज पर डाॅ. अरिंजय जैन ने पारस हाॅस्पीटल से कोरोना फैलाया।
नहीं लगाई धारा 304 व 307
जिलाधिकारी के आदेश पर थाना न्यू आगरा में पारस हाॅस्पीटल के संचालक डाॅ. अरिंजय जैन के खिलाफ अपराध संख्या 0267/ 20 में धारा 188, 269, 270 और 271 के तहत अभियोग पंजीकृत किया। डाॅक्टर अरिंजय जैन ने कोरोना वायरस जानबूझकर फैलाया और मरीजों और उनके तीमारदारों के जरिए कई राज्यों में महामारी फैलाई। इसके तहत उन पर आईपीसी की धारा 304 और धारा 307 का भी जुर्म बनता है। किंतु इन धाराओं का उल्लेख एफआईआर की फर्द में नहीं है। इस रिपोर्ट के बाद न तो पुलिस ने डाॅ अरिंजय जैन को गिरफ्तार करने में दिलचस्पी दिखाई और न ही उसके छिपे होने के संभावित ठिकानों पर दबिश डालने के लिए विवेचाधिकारी ने पर्चे काटे।
प्रशासन ने जताई यूपी के 10 जिलों में कोरोना फैलाने की आशंका
आगरा जिला प्रशासन मान रहा है कि डाॅ. अरिंजय जैन ने उत्तर प्रदेश के कम से कम 10 जिलों में कोरोना फैलाया है। इसी क्रम में अपर जिलाधिकारी प्रशासन निधि श्रीवास्तव ने आगरा जिलाधिकारी के हवाले से पत्रांक संख्या 1104्/ एसटी प्रशासन द्वारा फिरोजाबाद, हाथरस, इटावा, मैनपुरी, एटा, अलीगढ, फर्रखाबाद, कासगंज, मथुरा, औरैया एवं कन्नौज के जिलाधिकारी को पत्र भेजा है। इसमें उल्लेख किया गया है कि पारस हाॅस्पीटल में 26 मार्च से छह अप्रैल तक 96 मरीज भर्ती रहे। इस अवधि में पारस अस्पताल गए आगरा के 16 लोगों में कोरोना संक्रमण पाया गया है। लिहाजा इलाज कराने वाले 96 मरीजों में कोरोना संक्रमण होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। सभी जिलाधिकारी अपने जिलों के संबंधित मरीजों और उनके परिजनों की जांच और अन्य कार्रवाई करें। इस संबंध मंे सभी 10 जिलों के जिलाधिकारियों को पारस हाॅस्पीटल के रजिस्टर की छायाप्रति भी उपलब्ध करा दी गई जिसमें मरीजों का पता लिखा है।
कोरोना बने डाक्टर्स का खात्मा जरूरी
आगरा की फिजा में कोरोना से ज्यादा पारस हाॅस्पीटल के किस्से तैर रहे हैं। जैन बिरादरी में पारस हाॅस्पीटल के डाॅ. अरिंजय जैन की थू-थू हो रही है। कहा यह भी जा रहा है कि ये आगरा का पहला डाॅक्टर है जिसने पारस हाॅस्पीटल में मरीज लाने वाले दलालों को कंसल्टेंसी की फीस में से भी कमीशन देेने की शुरूआत की। आगरा में समाजसेवी श्री सर्व प्रकाश कपूर ने तीन दिन पहले इसके खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने मुख्यमंत्री से पारस हाॅस्पीटल से कोरोना संक्रमण फैलने की जांच कराने की मांग की। अब यह मांग समाज के हर वर्ग से उठ रही है। चिकित्सकों के उस वर्ग से भी जो इस पेशे में आज भी मरीजों का इलाज सेवा भाव से करते हैं। नकली दबा के कारोबार और नर्सिंग होम के नाम पर कत्लगाह का संचालन करने वाले डाॅ. अरिंजय जैन जैसे चिकित्सक समाज में फैले किसी ” कोरोना ” से कम नहीं हैं, जिनका खात्मा समाज और सरकार को उसी शिद्दत से करना चाहिए, जिस सजगता से कोरोना से युद्ध स्तर पर निपटा जा रहा है। नहीं तो पारस हाॅस्पीटल के संचालक जैसे ‘वायरस’ समाज के गरीब तबके को बेमौत मार डालेंगे।
वरिष्ठ पत्रकार बृजेन्द्र पटेल की फेसबुक वॉल से साभार